श्रीमद् भागवत कथा में किया गया सुदामा चरित्र का वर्णन
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
श्री सिद्धि विनायक सेवा समिति द्वारा आयोजित चौथे गणपति उत्सव एवं श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन श्री गणपति जी की श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना की गई। सोमवार को मुख्य यजमान के रूप में सुधीर गुप्ता, बलविंद्र धीमान, सुभाष सिंगला व जयपाल बंसल सपरिवार शामिल हुए। साध्वी संतोषानंद महाराज ने भगवान के 16 हजार एक सौ आठ विवाह की कथा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि एक पतिव्रता स्त्री अपने पति व्रत के तप से व बल से जलती हुई अग्नि को भी शीतल कर सकती है। विवाह के पश्चात् पत्नी ही पति को धर्म के मार्ग पर अग्रसर कर सकती है इसलिए पत्नी को धर्मपत्नी कहकर संबोधित किया जाता है। यदि पति आधार है तो पत्नी उसकी आधारशक्ति है। इसके लिए पश्चात साध्वी संतोषानंद जी महाराज ने सुदामा चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि हजार मित्र बनाने से अच्छा है एक ही मित्र बनाएं जिसकी मित्रता सुदामा जैसी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी के भाग्य की कोई वस्तु नहीं लेनी चाहिए क्योंकि एक बार सुदामा जी ने भगवान श्री कृष्ण के हिस्से के चने खा लिए थे जिसके कारण सुदामा जी को कितनी गरीबी का सामना करना पड़ा। समिति के सदस्य विनोद मंगला ने बताया कि मंगलवार को हवन यज्ञ के साथ श्रीमद् भागवत कथा का समापन होगा और विशाल भंडारा लगाया जाएगा। दोपहर बाद विशाल शोभा यात्रा के साथ गणपति जी को विदाई दी जाएगी और सिरसा ब्रांच नहर में गणपति जी का विसर्जन किया जाएगा। इस अवसर पर विद्यारानी दनौदा, नरेश जैन, राकेश शर्मा, जयपाल बंसल, पवन मित्तल, सतीश बंसल, देवीराम गर्ग, सुभाष सिंगला, कैलाश सिंगला, विनोद मंगला, राजीव गर्ग, विकास गर्ग, ऋषिपाल गुप्ता आदि लोग मौजूद थे।